Tuesday, April 12, 2011

जड़ें

--------------------------------------------------------
बहुत फैलीं हैं 
तेरी यादों कि  जड़ें


बरसात चाहे ज़हन के
जिस भी हिस्से में हो
पर जो ग़म हरा हुआ है 
तेरे नाम का ही रहा है 

--------------------------------------------------------