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गेंद है कोई
चाँद किसी बच्चे की शायद
जिससे किसी पडोसी की खिड़की का कांच
टूट गया था छन से इक शब
और खडूस पडोसी नें वो गेंद उसे लौटाई नहीं
उस बच्चे से दूर बहुत ही
आसमान की ताक़ पे रख दी..
उसी ताक़ पे चाँद गेंद सा लुढका करता है..
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