Sunday, June 22, 2008

बदलाव

कभी कभी तुम पर
क्रोध आता है
तो कभी दिल दर्द से
डूबा जाता है

"जाने कैसे होगे तुम"
ये सोच कभी चिंता करती हूँ
तो कभी अपनी असमर्थता पे
चिढ़ती हूँ, कुढ़ती हूँ

घटना, सिर्फ एक-----
तुम्हारा मुझे छोड़ ,
दूर चले जाना
और उस एक घटना के लिए
मेरी अनेक प्रतिक्रियाएं

सच ही तो है
'दिल चंचल होता है'
वक़्त के साथ 'गर
मेरे ही दिल का मौसम बदल गया
तो मौसम के साथ यदि
मेरे प्रति तुम्हारी भावनाएँ भी
बदल गयीं,
तो इसमें
तुम्हारा क्या दोष?

आखिर इंसान का दिल है
बदलाव तो मांगेगा ही...........

Saturday, June 21, 2008

WARRANTY CARD

नया T.V. खरीदा
चला नहीं,
तो जाकर बदल आई

ऐसे ही कुछ बरसों पहले
एक बड़े से शोरूम से
भगवान् की एक मूरत
खरीद लायी थी
तब से रोजाना
सर झुकाती आ रही हूँ
उसके आगे
पर आज तक उसने मेरी
कोई दुआ नहीं सुनी
न ही कोई अर्जी
कुबूल की है

सोचती हूँ
बदल आऊं उसे भी एक रोज़
पर क्या करुँ
खुदा आता नहीं
WARRANTY CARD के साथ.