Sunday, May 31, 2009

छुट्टी के दिन


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सच माँ,
छुट्टी के दिन तुम्हारी
बहुत याद आती है

दिल करता है
दौड़ के तुम्हारे पास
पहुँच जाऊं
और एक सांस में
गा सुनाऊँ
हर वो छोटी से छोटी बात
जो घटी
पिछली मुलाक़ात से
अब तक के दौरान
ठीक वैसे ही
जैसे
बचपन में
स्कूल की छुट्टी की घंटी
कानों में पहुँचते ही
किया करती थी

पर क्या करुँ माँ,
बड़े सपनों का मूल्य भी तो
बड़ा होता है!
शायद 722 मील जितना बड़ा........

हमने भी तो एक बड़ा सपना देखने की
भूल कर डाली
हाँ हमने,
आखिर
तुम्हारे सपनों में मेरा साथ
रहा हो या न रहा हो,
पर मेरे सपनों में
तुम्हारी साझेदारी
हमेशा रही है

सो,
देखो ना
मूल्य भी अब हम
साझा ही चूका रहे हैं
बड़े सपनों द्बारा
छोटी छोटी खुशियों के
निगले जाने का
और छोटी छोटी छुट्टियों को
बड़ी छुट्टियों के
इंतज़ार में बिताने का ...........

सच माँ,
छुट्टी के दिन तुम्हारी
बहुत याद आती है........
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8 comments:

अनिल कान्त said...

मुझे भी अपनी माँ की याद यूँ ही आ जाती है
आपकी कविता दिल को छो गयी

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Asha Joglekar said...

बेहद सुंदर । माँ का सपना तो बच्चों के सपने में ही होता है ।

Nidhi said...

This is situation is same for every working girl...We have big dreams. When we try to catch them we always miss small happiness...
Your poem is near to me & my sister too... But this is life we have to live like this.

satish kundan said...

सच में माँ से दूर होना बहुत अखरता है...आपने जो अनुभव किया उसे बहुत खूबसूरती से शब्दों में ढाला है....बधाई!!!!!!!!!!

वर्तिका said...

@anil ji... maa hoti hi aisi hain ki unki yaad humesha humein ghere rakhti hain... :)aap ko kavita pasand aayi iske liye dhanyawaad...umeed hai aage bhi aap yahan aate rahenge....

@asha ji... sach kaha aapne maa kaa dil hota hi aisa hai ki vo apne bacchon ki khushiyon mein hi apni khushiyaan dhoond leti hain.... aapko yahan dekh kar accha laga...pratikriyaon ke liye main aabhari hoon....

@nidhi ji.... ji sahi kaha aapne ki yahi zindagi hai aur humein youn hi jeena ahi ise....aapko aur aapki behen ko meri taraf se hardik dhanyawaad....:)

वर्तिका said...

@satish ji.... aapko yeh rachna pasand aayi iske liye main dil se aabhari hoon..... :)

M Verma said...

मा एक एहसास होती है. बहुत ही सघनता से आपने मा को व्यक्त किया है. बधाई.

वर्तिका said...

dhnayawaad sir....