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सरहदों में बँटे ही रहने दो जहां को
खुदा कहाँ तक हर इल्जाम को कन्धा देगा
खबर आयी है लोग अपने ही बागी हुए हैं
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सरहदों में बँटे ही रहने दो जहां को
खुदा कहाँ तक हर इल्जाम को कन्धा देगा
खबर आयी है लोग अपने ही बागी हुए हैं
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8 comments:
वाह! जब अपने बागी होते है तभी तो नई सरहद बनती है
बहुत खूब
really, all your poems are so interesting and experss the emotions in limited words...gooooood.
यार ये तो कुछ ऐसा हुआ की प्यासे की प्यास और बढ़ा दी, जब इतनी अच्छी पंक्तियाँ लिखीं हैं तो कम से कम इतना विस्तार तो दो कि..................
wah! bahut khoob
VERY powerful!!! Love the punch in your brevity!
Wah kya baat kahi hai khabar aayi hai log baagi hue hai
bahut khoob
nice
Behtreen triveni.....kya baat hai ...bahut khoob!!
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