Saturday, April 18, 2009

फासले


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ये शहर मुझे बस दौड़ता हुआ दिखता है,
पर दूरियां हैं, के घटती नहीं दिखती

अपनी धूरी पर घूमने से, फासले तय हुए हैं भला?
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7 comments:

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

bahut khoob!
dhuri par ghoomane se faasale kam nahin hote ...................

love u

crazy devil said...

waah maza aa gaya

वर्तिका said...

@jyotsana di
dhanyawaad di... love u 23456 :)

@crazy devil
thank u so mch...:)

Avinash Chandra said...

sundar

Unknown said...

wah vartika ji....bahut gehri soch.....

अंतस said...

बिल्कुल नही............पर अपनी धुरी पर घुमते घुमते चक्कर जरूर आने लगा.............लग रहा है, सरेशाम पी ली है..........ढेर साड़ी...........

अंतस said...

सॉरी वो साड़ी नही है.................सारी है...........और ये मेरी गलती नही है...........google translitration ki hai.............