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तेरी यादों की लहरें आयीं और लौट भी गयीं
पर ज़हन में अब कोई ख़याल उगता ही नहीं
सैलाबों के बाद ज़मीं बंजर भी हो जाती है
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बड़ी मशक्क़त से खड़ी करती हूँ रोज़ नए तर्कों की इमारतें
दिल पे समझदारी का शहर बसने का गुमां,भला लगता है
तेरी यादों की बस एक लहर भर, मुझे फिर से रेत कर जाती है
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तेरी यादों की लहरें आयीं और लौट भी गयीं
पर ज़हन में अब कोई ख़याल उगता ही नहीं
सैलाबों के बाद ज़मीं बंजर भी हो जाती है
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बड़ी मशक्क़त से खड़ी करती हूँ रोज़ नए तर्कों की इमारतें
दिल पे समझदारी का शहर बसने का गुमां,भला लगता है
तेरी यादों की बस एक लहर भर, मुझे फिर से रेत कर जाती है
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15 comments:
बहुत खूब कहा है :
सैलाबों के बाद ज़मीं बंजर भी हो जाती है
थोडे़ में बहुत ज्यादा
सपने बुनने और उनके सच होने में कितना फर्क होता है ? सुन्दर भाव..
तेरी यादों की बस एक लहर भर, मुझे फिर से रेत कर जाती है....बहुत भावपूर्ण रचना जो सहज ही दिल को छूती है...बधाई!!!!!!! मैंने भी एक नई पोस्ट डाली है आपका स्वागत है...
behtareen...........bas itna hi kahoonga
haan ek baat aur kuch khayaal udhaar de sako to post kar dena...........:)
बहुत ही सुन्दर भाव है..और उतनी ही गहराई भी
बेहद खूबसूरत रचना
आज की आवाज
bahut khub....
bahut hi sunder rachna likhi hai aapne badhai...
gahre artho ke ssath likha hai ...aaj kafi sarri kavitai padhi aapki ...aise hi likhte rahiye
1st one is good...second one is plain
अच्छी रचनाएँ हैं....बिना रुके लिखते रहिये..लिखते रहिये..लगातार..मेरी शुभकामनाएं...
loved both ur trivenis lady... :)
aayeeye dekhiye court k faisle par ek cartoon....
is samaz ka kya hoga.....
vartika ji....
apne moolywan vicharo se mujhe avgat karayen.....
beautiful
बड़ी मशक्क़त से खड़ी करती हूँ रोज़ नए तर्कों की इमारतें
दिल पे समझदारी का शहर बसने का गुमां,भला लगता है
तेरी यादों की बस एक लहर भर, मुझे फिर से रेत कर जाती है
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Mujhe yeh triveni bahut achhi lagi bahut hi achhi!!
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