अलग अलग करने पर सामान्य से दिखने वाले ये शब्द यहाँ साझेदारी में ज़बरदस्त गुप्त ऊष्मा के साथ आये हैं...क्या कहूँ..पॉकेट- साइज्ड डायनामाईट.....या कुछ और..सोचता हूँ.
वर्तिका मानना पड़ेगा की आप ने वो हद पार कर ली है जहाँ सोच को सामने लाने के लिए शब्दों की आवश्यकता होती है.......ऐसा लगता है जैसे कुछ कहने के लिए तुम्हे शब्द चाहिए ही नही............बस एक माध्यम चाहिए...........बस ऐसे ही लिखते रहो............best of luck
jitna padho utna accha, aap jese logo ki kavita aur vichar hum sab normal humans ko nayi sikhsha deti hai and the way u write your 4 liners is amazing...every write up is superb. kisi ne kal raat ek kavita sunayi thii aur bata diya ki ye inhone likha hai, to mei idhar aa gaya dekhne ki baaki lekh kese honge, the way u pick ur subject n write them in 4 liners cannot be described in words.
14 comments:
सुन्दर
शब्दो को कविता मे पिरोकर,
बहुत खूब..., अच्छी रचना
आभार
हे प्रभु यह तेरापन्थ्
मुम्बई टाईगर
इन चन्द शब्दो ने जो कहा है वह अद्भुत है. इस बारीक से एहसास को इतने खूबसूरत ढंग से कहने के लिये बधाई.
कमाल है ! इतनी छोटी कविता में इतनी सुन्दर बात ......, मेरे वहां भी आना .
अलग अलग करने पर सामान्य से दिखने वाले ये शब्द यहाँ साझेदारी में ज़बरदस्त गुप्त ऊष्मा के साथ आये हैं...क्या कहूँ..पॉकेट- साइज्ड डायनामाईट.....या कुछ और..सोचता हूँ.
अब तो लगता है कि व्यावसायिकता ब्लाग जगत में भी पसर रही है, साझे कारोबार ने जन्म जो ले लिया!!!!!
अति सुन्दर और गहरी बात कह दी. फसल काट कर बाज़ार में परोसने वाले ही तो फायदे में रहते हैं......
बधाई.
badhai.........
bahut khaubsurat kavita...thode se shabdon me aapne bahut badi baat kah di...mere pas is kavita ki tarif ke liye shabad nahin....amarjeet kaunke
a knack of clairvoyance.
ise padhkar hi lagta hai ki big things come in small packages.. aapkee feed reader mein subscribe kar rhaa hoon...
likhti rahiye :) achha laga aapse milkar aur aapki kavitaa padhkar..
amazing lines.. every word is speaking out ......kya kahun ..man ruk sa gaya hai ji
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
वर्तिका मानना पड़ेगा की आप ने वो हद पार कर ली है जहाँ सोच को सामने लाने के लिए शब्दों की आवश्यकता होती है.......ऐसा लगता है जैसे कुछ कहने के लिए तुम्हे शब्द चाहिए ही नही............बस एक माध्यम चाहिए...........बस ऐसे ही लिखते रहो............best of luck
vartika.. naayab kshanika.. m out of words.. :)
अच्छी लगी कविता.
jitna padho utna accha, aap jese logo ki kavita aur vichar hum sab normal humans ko nayi sikhsha deti hai and the way u write your 4 liners is amazing...every write up is superb. kisi ne kal raat ek kavita sunayi thii aur bata diya ki ye inhone likha hai, to mei idhar aa gaya dekhne ki baaki lekh kese honge, the way u pick ur subject n write them in 4 liners cannot be described in words.
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